Thursday, January 20, 2011

For my Late Puppy "Bruno" :-)


Content: Poem
© 2011 Shrina Vaidik


♥♥ To Bruno ♥♥
(15th February, 2010 - 10th November, 2010)





Silent days and blank nights,
I'm searching you in every sight.


a single glimpse of your, makes flowers bloom, I feel I'm in heaven again and out of gloom.






your absence bothers me too much,
but I was helpless when you were tolerating all such.


all my love and care for you keep aside,
come back my drug, as a little child.






I still feel your touch,
I am asking you nothing much.


your memories haunt me day and night,
no one can refill your place in my life.





you are my gift, you are my prize,
just make a come back baby, in my life.






- Shrina (21 January, 2011)

My first Poem (BACHPAN)

                                 बचपन




गुल्ली-डंडा- कंचे , नन्हे नन्हे  गली के कुत्ते, पतंग और मंजे!
मंजे को धारदार सूतना और पतंग उड़ाते वक़्त उसी मंजे से उँगलियों का कटना, मैंने भी यह सब देखा है क्यूंकि अपने ही भैया दीदी संग मैंने  यह सब खेला है, हाँ ऐसा ही बचपन मैंने देखा है | 





ठिठुरती ठण्ड में पापा की गर्म शाल में उनके सीने से लगकर, सर्दियों में स्कूटर पर उनके साथ इसी तरह घूमकर, हर सवारी का मजा लिया है, हाँ ऐसा बचपन मैंने जिया है |  


जहाँ दादी के प्यार भरे नर्म हाथों से सैकड़ो बार नहाया है, वहीँ मम्मी-ताईजी के हाथों से रोज़ स्कूल के लिए तैयार होकर हमेशा खुद को  बच्चा पाया है, हाँ मैंने ऐसा ही बचपन पाया है |






एक ओर बाबाजी (दादाजी) को बचपन से ही संयम में जीवन जीते देखा है, वह हम सबके आदर्श है ऐसा हमने माना है,
तो दूसरी ओर ताउजी ने बिना किसी भेदभाव, बिना किसी शर्त के असीम प्यार बिखेरा है उनको हमने खोया इसका दर्द बस हमें ही सहना है |






छोटे भाई को आँखों के सामने बड़े होते हुए देखा है, बचपन से ही खूब सारा प्यार और डांट से उसे संभाला है,
रोज़-रोज़ की नोक-झोंक से जीवन चलता हमारा है, बस इसी तरह मेरा यह बचपन सारा है |




- श्रीना (14 january , 2011)
© 2011 Shrina Vaidik